बंगाल में भाजपा VS तृणमूल:जिस बोलपुर में शाह ने रोड शो किया, वहीं ममता ने दी चुनौती- भाजपा 30 सीटें जीतकर दिखाए
अगले साल होने वाले विधानसभा चुनाव से पहले बंगाल में भाजपा और तृणमूल कांग्रेस (TMC) के बीच टकराव और बढ़ता जा रहा है। जिस बोलपुर में कुछ दिन पहले अमित शाह ने रोड शो कर 5 साल में सोनार बांग्ला बनाने का दावा किया था, वहीं ममता बनर्जी ने आज पदयात्रा की। बंगाल की मुख्यमंत्री ममता ने मंगलवार को पदयात्रा के बाद कहा कि कुछ विधायकों के पार्टी छोड़ने से कोई फर्क नहीं पड़ेगा, क्योंकि जनता हमारे साथ है।
उन्होंने कहा कि भाजपा कुछ विधायकों को तो खरीद सकती है, लेकिन तृणमूल को नहीं खरीद सकती। ममता ने चुनौती दी कि भाजपा 294 सीटों का सपना छोड़े, वह बंगाल में सिर्फ 30 सीटें जीतकर दिखाए।

हिंसा और बांटनेवाली राजनीति बंद करे भाजपा : ममता
उन्होंने बीरभूम के बोलपुर में भाजपा पर करारा हमला बोलते हुए कहा कि बंगाल की संस्कृति को नष्ट करने के लिए साजिश की जा रही है। भाजपा हिंसा और बांटनेवाली राजनीति बंद करे।
उन्होंने कहा कि जो लोग महात्मा गांधी और देश के महान लोगों का सम्मान नहीं करते, वे ‘सोनार बांग्ला’ बनाने की बात कर रहे हैं। उन्होंने कहा कि मुझे बुरा लगता है जब मैं देखती हूं कि विश्वभारती में सांप्रदायिक राजनीति को आगे बढ़ाने की कोशिशें की जा रही हैं। विश्वभारती के कुलपति भाजपा के आदमी हैं। वह सांप्रदायिक राजनीति कर रहे हैं। यूनिवर्सिटी की विरासत धूमिल हो रही है।

टैगोर की धरती पर नफरत की राजनीति के लिए जगह नहीं
उन्होंने भाजपा को बाहरियों की पार्टी बताते हुए कहा कि नोबल विजेता रवींद्रनाथ टैगोर की धरती पर नफरत की राजनीति करने वाले कभी जीत नहीं सकते। यहां के लोग धर्मनिरपेक्षता पर ऐसी राजनीति करने वालों को कभी जीतने नहीं देंगे।
शाह ने तृणमूल के गढ़ में किया था रोड शो
इससे पहले शाह ने तृणमूल के किले बोलपुर में रोड शो किया था। बोलपुर में ममता से पहले 43 साल तक कम्युनिस्टों का कब्जा रहा है। शाह ने कहा था कि आपने कम्युनिस्टों को मौका दिया, ममता को मौका दिया, एक बार हमें मौका दीजिए और हम 5 साल में सोनार बांग्ला बना देंगे। शाह ने कहा था कि ऐसा रोड शो कभी नहीं देखा, भीड़ दिखाती है कि बंगाल की जनता अब बदलाव चाहती है।
बोलपुर अहम क्यों?
चुनाव में भाजपा और तृणमूल के लिए बोलपुर काफी अहम है। यह संसदीय क्षेत्र कभी कम्युनिस्ट पार्टी का अभेद किला था। 1971 से 2014 तक लगातार यहां कम्युनिस्ट पार्टी का राज रहा। इनमें चार बार सरादिश रॉय और सात बार दिग्गज नेता सोमनाथ चटर्जी ने चुनाव जीता। 2014 में तृणमूल कांग्रेस ने यह किला जीत लिया। दो बार से इस सीट पर उसी का कब्जा है।